Thursday, November 1, 2007

अल्फाज़


लोग कहते हैं ज़िन्दगी वक़्त की मोहताज हैं
सांसे दर्द से जुडी हैं
वोह कहते हैं कुछ रुखसार यादें
लम्हों के आईने सीचते हैं
और उन यादें से कभी कभी
एक ऐसी आवाज़ उभरती हैं
जो धडकनों की गूँज
और सांसो की आवाज़ बनती हैं
जो रातों को शबनमी
और दिनों को खुस्निसर बनती हैं
पर वोह ये नहीं कहते
जब ऐसी एक आवाज़
ज़िन्दगी के दीवार पे लटके तस्वीरें
को तिरछी कर दे
और लम्हों के रंग बदल दे
तो हम क्या करें?
अब आप ही की आवाज़ हैं -
जिसने ज़िन्दगी के चन मायने बदल डाले
अब आप ही बताएं
इरफान
हम क्या करें...

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